Gond tribal community in Bastar welcomes Jai Jungle team with traditional Mahua song during a village visit, celebrating culture and hospitality.

महुआ गीत और आदिवासी संस्कृति – जंगल का पवित्र फूल

महुआ गीत और आदिवासी संस्कृति – जंगल का संगीत और अपनापन

जब पेड़ गीत बन जाते हैं

मध्य भारत और बस्तर के जंगलों में महुआ (Madhuca longifolia) सिर्फ़ एक पेड़ नहीं है। यह भोजन है, यह दवा है, और यह संगीत और संस्कृति की आत्मा भी है।
गोंड, मुंडा, उरांव और संथाल जैसे समुदायों में जब वसंत आता है और महुआ के फूल ज़मीन पर झरने लगते हैं, तो पूरा जंगल गीतों और उत्सवों से भर उठता है।
महुआ को केवल खाया या बेचा नहीं जाता, बल्कि इसे पूजा जाता है, गीतों में गाया जाता है और त्योहारों में मनाया जाता है।


स्वागत और परंपरा – महुआ गीत का महत्व

मेहमानों का स्वागत

  • शादी-ब्याह में महुआ लड्डू और फूल समृद्धि और मिठास का प्रतीक होते हैं।
  • संथाल और उरांव विवाह में महुआ के पेड़ के नीचे रस्में की जाती हैं।
  • गाँव के मंदिरों और देवस्थानों पर फूल चढ़ाए जाते हैं ताकि आने वाला साल भरपूर और सुखमय हो।
  • गोंड समुदाय में जब कोई गाँव आता है, तो उसका स्वागत महुआ गीत गाकर किया जाता है।
  • यह गीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं बल्कि एक आशीर्वाद होते हैं, जिनमें प्रकृति और देवताओं को याद किया जाता है।
  • महिलाएँ पारंपरिक कपड़े और गहने पहनकर पंक्तियों में खड़ी होती हैं और गीत गाते हुए नृत्य करती हैं।

प्रतीक और आस्था


त्योहार और सामूहिक उत्सव

वसंत का महुआ उत्सव

जब मार्च–अप्रैल में महुआ खिलता है तो यह सिर्फ़ प्राकृतिक घटना नहीं बल्कि सांस्कृतिक पर्व होता है।

  • बच्चे सुबह-सुबह फूल बटोरते हैं।
  • महिलाएँ गीत गाते हुए फूल सुखाने और जमा करने का काम करती हैं।
  • रात को पूरा गाँव मिलकर नृत्य और सामूहिक भोज करता है, जिसमें महुआ का दलिया, लड्डू और पेय परोसे जाते हैं।

पूर्वजों और देवताओं को अर्पण

  • कई समुदायों में महुआ को पितरों को अर्पित किया जाता है।
  • फूल और पेय दोनों को पूर्वजों के लिए “भोजन” माना जाता है।
  • यह परंपरा जीवित और मृत, दोनों पीढ़ियों को जोड़ती है।

महुआ गीत – संस्कृति की धड़कन

लोकगीत और कहानियाँ

  • गोंड लोकगीतों में महुआ को “अम्मा” (माँ) कहा गया है, जो कठिन समय में बच्चों को भूख से बचाती है।
  • कहानियों में कहा जाता है कि देवताओं ने महुआ दिया ताकि जंगल में कोई भूखा न रहे।

कला और चित्रकारी

  • गोंड पेंटिंग्स में महुआ को अक्सर केंद्र में दिखाया जाता है, जिसके चारों ओर पक्षी, जानवर और इंसान एक साथ होते हैं।
  • यह बताता है कि महुआ सिर्फ़ भोजन नहीं बल्कि जीवन का प्रतीक है।

महिलाएँ और महुआ की परंपरा

महुआ की परंपराओं में महिलाओं की विशेष भूमिका है:

  • फूल बटोरने और सुखाने का काम ज्यादातर महिलाएँ करती हैं।
  • कई इलाकों में महुआ के पेड़ों का हक़ महिलाओं के नाम होता है।
  • गीत और नृत्य की परंपरा भी महिलाओं द्वारा आगे बढ़ाई जाती है।

इससे साफ़ होता है कि महुआ भोजन के साथ-साथ महिलाओं की पहचान और सम्मान से भी जुड़ा है।


बदलते समय और चुनौतियाँ

आज के समय में यह परंपराएँ धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रही हैं:

  • औपनिवेशिक और सरकारी आबकारी नीतियों ने महुआ को सिर्फ़ शराब से जोड़ दिया।
  • सरकारी राशन (चावल और गेहूँ) ने स्थानीय भोजन को हटा दिया।
  • नौजवान पीढ़ी अब महुआ को पवित्र पेड़ नहीं, बल्कि पुरानी चीज़ मानने लगी है।

इससे केवल पोषण ही नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा भी प्रभावित हो रही है।


Jai Jungle का प्रयास – महुआ को फिर से गौरव दिलाना

जशपुर में Jai Jungle Farmers Producer Company स्थानीय महिलाओं और युवाओं के साथ मिलकर महुआ को फिर से संस्कृति और पोषण के प्रतीक के रूप में पहचान दिला रहा है।

  • यहाँ महुआ को केवल खाद्य उत्पादों में नहीं, बल्कि गीतों और परंपराओं में भी ज़िंदा रखने की कोशिश की जा रही है।
  • उद्देश्य यह है कि महुआ को केवल शराब से जोड़ने की मानसिकता बदले और इसे सम्मान और संस्कृति के साथ देखा जाए

जंगल का पवित्र फूल

महुआ सिर्फ़ एक फूल नहीं है। यह गीत, पूजा, त्योहार, और पहचान है। यह गाँव की एकता, पूर्वजों की याद और प्रकृति के साथ संबंध को दर्शाता है।

महुआ को फिर से जीवित रखना केवल भोजन या उत्पाद बनाने का सवाल नहीं है। यह आदिवासी संस्कृति, आत्मसम्मान और परंपरा को बचाने का आंदोलन है।
जब तक महुआ खिलता रहेगा, यह जंगल और इंसान दोनों को जोड़ने वाला पवित्र फूल बना रहेगा।

संदर्भ

  1. India Water Portal (2020). Mahua in tribal food systems and cultural practices.
  2. Down To Earth (2018). It’s Mahua season: Hunger is non-existent in households which have this forest produce.
  3. Ahirwar, R.K. et al. (2018). Nutritional composition of Mahua flower. JETIR1801080.
  4. Singh, V., Singh, J., Kushwaha, R., Singh, M., Kumar, S., & Rai, A.K. (2020). Assessment of antioxidant activity, minerals and chemical constituents of edible Mahua (Madhuca longifolia) flower and fruit. Nutrition & Food Science.
  5. Das, S.K. (2019). Mahua: A boon for pharmacy and food industry. International Journal of Chemical Studies.
  6. Ethnographic fieldwork accounts from Gond and Santhal communities of Chhattisgarh, Odisha, and Jharkhand (oral traditions, songs, and festivals around Mahua).
  7. Gond Art Archives. Visual depictions of Mahua tree in ritual and cultural contexts.
  8. Chhattisgarh State Institute of Rural Development (2017–2018 Reports). Mahua collection, cultural roles, and socio-economic impact on tribal households.

Handpicked for You

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart
WhatsApp